आज एक प्यार और दर्द भरी रचना आप के सामने प्रस्तुत है | इस रचना का संगीत-संयोजन भी मैंने किया है | इस रचना का असली आनंद सुन कर ही आयेगा, इसलिए आपसे अनुरोध है की आप मेरी मेहनत को सफल बनाएं और नीचे दिए गए लिंक पर इसे जरूर सुनें...
आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
आप से अनुरोध है कि आप मेरे Youtube के Channel पर भी Subscribe और Like करने का कष्ट करें ताकि आप मेरी ऐसी रचनाएं पुन: देख और सुन सकें | आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि आप इस रचना को अवश्य पसंद करेंगे | रिकार्डिंग कर लेने के बाद उच्चारण संबंधी कुछ त्रुटियों की ओर भी ध्यान गया पर दुबारा रिकार्डिंग करने के बजाय मैंने उसी
तरह पोस्ट कर दिया | दरअसल अकेले गायन,वादन, रिकार्डिंग आदि कई काम एक साथ करते समय कई चीजें उस समय ध्यान
में नहीं आ पाती, आगे से ध्यान रखूंगा |
केवल AUDIO सुनने के लिए नीचे क्लिक करें-
तुमसे कोई गिला नहीं है।
प्यार हमेशा मिला नहीं है।
कांटे रहते उगे चमन में,
फूल हमेशा खिला नहीं है।
जिसको मंज़िल मिले हमेशा,
ऐसा हर काफ़िला नहीं है।
होता आया कई सदी से,,
ये पहला सिलसिला नहीं है।
बस अनचाही मिली हमें शय,
जो चाहा वो मिला नहीं है।
समझोगे तुम नहीं कभी भी,
नफ़रत दिल का सिला नहीं है।
जब तक मर्जी नहीं है रब की,
पत्ता तक इक हिला नहीं है |
नाजुक है दिल ‘अनघ’ हमारा,
ये पत्थर का किला नहीं है।
ये पत्थर का किला नहीं है।
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