गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

यादों की महफ़िल सजाए बैठा हूँ (संगीतमय)

सभी ब्लॉगर मित्रों को नववर्ष 2016 की शुभकामनाएं...
मित्रों ! यह साल जाने को है और नया साल आने वाला है | आज अपनी एक बहुत पुरानी रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ  | आशा है आप इसे भी अवश्य पसंद करेंगे.......

यादों की महफ़िल सजाए बैठा हूँ |
अपनी हर मुश्किल भुलाए बैठा हूँ |

यादें उनकी आ गईं वे आते नहीं,
जिनसे अपना दिल लगाए बैठा हूँ |

जब दुनिया रोती है आंसू बहते हैं,
ऐसे मैं खिलखिलाए बैठा हूँ |

कोई भी आ जाए मैं अपना लूंगा,
सबसे अपना दिल मिलाए बैठा हूँ |

यादों के दम से ही ये अपना जीवन,
जीने के काबिल बनाए बैठा हूँ |

इस महफ़िल में सबका आना-जाना है,
मैं तो सबको ही बुलाए बैठा हूँ |



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सभी ब्लॉगर मित्रों को नववर्ष 2016 की शुभकामनाएं...

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