मित्रों ! नववर्ष की पहली सौगात के रूप में यह प्रेमगीत प्रस्तुत कर रहा हूँ | आशा है हमेशा की तरह आप इसे भी पसंद करेंगे.....
कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो।
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो।
हर जगह भीड़ है हर जगह लोग हैं,
ऐसी तनहाई मिलती है जल्दी नहीं;
जहाँ कोई न हो जहाँ कोई न हो........
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो.........
बडी़ मुश्किल से फ़ुरसत के पल आते हैं,
होके चुप इन पलों को न जाया करो;
प्यार के इस समुन्दर में आओ बहो......
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो...........
लब अगर बात करने से कतरा रहे,
बात करने की तरकीब यूं सीख लो;
अपनी नज़रों से मेरी नज़र में कहो......
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो............
इस रचना का असली आनंद Youtube पर सुन कर ही आयेगा, इसलिए आपसे अनुरोध है की आप मेरी मेहनत को सफल बनाएं और वहां इसे जरूर सुनें...
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो।
हर जगह भीड़ है हर जगह लोग हैं,
ऐसी तनहाई मिलती है जल्दी नहीं;
जहाँ कोई न हो जहाँ कोई न हो........
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो.........
बडी़ मुश्किल से फ़ुरसत के पल आते हैं,
होके चुप इन पलों को न जाया करो;
प्यार के इस समुन्दर में आओ बहो......
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो...........
लब अगर बात करने से कतरा रहे,
बात करने की तरकीब यूं सीख लो;
अपनी नज़रों से मेरी नज़र में कहो......
चाँदनी रात है, ऐसे चुप ना रहो............
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