शनिवार, 28 नवंबर 2009

प्यार तब और बढ़ा

मित्रों!अपने तीन ब्लाग मेरी गज़लें,मेरे गीत और रोमांटिक रचनायें को इस एक ही ब्लाग में समेटने के बाद मैंने रोमांटिक रचनायें कम ही पोस्ट की है । इस बार एक गीत प्रस्तुत है-


प्यार तब और बढ़ा और बढ़ा और बढ़ा,
जब लगाये गये पहरे प्यार के ऊपर.....

कोई अनारकली दीवार में चुनवाई गई,
कोई लैला कहीं यूं ही तड़पाई गई,
यूं सरेआम जमाने में रुसवाई हुई,
सितम जो ढाए गए कर सके कोई असर...
प्यार तब और बढ़ा और बढ़ा और बढ़ा.....

कहीं पे कैस कोई प्यार में दीवाना हुआ,
कहीं रांझा कोई हीर का निशाना हुआ,
और हर प्यार के खिलाफ़ ये जमाना हुआ,
मर गये इश्क के मारे ये सितम सह-सह कर...
प्यार तब और बढ़ा और बढ़ा और बढ़ा........

11 टिप्‍पणियां:

  1. मर गये इश्क के मारे ये सितम सह-सह कर...
    प्यार तब और बढ़ा और बढ़ा और बढ़ा........
    सितम तो प्यार के लिये ईंधन है. सितम बढेगा तो प्यार और बढ ही जायेगा.

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  2. प्यार तब और बढ़ा और बढ़ा और बढ़ा,
    जब लगाये गये पहरे प्यार के ऊपर....

    इसीको रिबाउंड फिनोमिना कहते हैं।
    बहुत सुंदर गीत।

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  3. कोई अनारकली दीवार में चुनवाई गई,
    कोई लैला कहीं यूं ही तड़पाई गई,
    यूं सरेआम जमाने में रुसवाई हुई,
    सितम जो ढाए गए कर न सके कोई असर...
    प्यार तब और बढ़ा और बढ़ा और बढ़ा.....

    dil ko chuti rachna .badhai ho bhiya...............
    aur taswire bhi bahut achi hai kas hum bhi sath me hote.........vishnu prabhakar(upadhayay101@yahoo.com)

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  4. Nice Post!! Nice Blog!!! Keep Blogging....
    Plz follow my blog!!!
    www.onlinekhaskhas.blogspot.com

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  5. प्यार तब और बढ़ा और बढ़ा और बढ़ा,
    जब लगाये गये पहरे प्यार के ऊपर.....
    -यही तो सच्चाई है।

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  6. bahut badhiya

    रंग लेकर के आई है तुम्हारे द्वार पर टोली
    उमंगें ले हवाओं में खड़ी है सामने होली

    निकलो बाहं फैलाये अंक में प्रीत को भर लो
    हारने दिल खड़े है हम जीत को आज तुम वर लो
    मधुर उल्लास की थिरकन में आके शामिल हो जाओ
    लिए शुभ कामना आयी है देखो द्वार पर होली

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