शनिवार, 4 अप्रैल 2009

गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी /जिंदगी ने कई दिन दिखाए

जिंदगी ने कई दिन दिखाए ।
कभी रोये कभी मुस्कुराये ।

कभी पाते रहे कभी खोते रहे ,
कभी जगते रहे कभी सोते रहे ,
इस तरह वक्त हमने बिताये ।
कभी रोये कभी मुस्कुराए ।

कभी शिकवा किया कभी वादे किए ,
कभी हमने नए कुछ इरादे किए ,
तेज आंधी में भी न डगमगाए ।
कभी रोये कभी मुस्कुराए ।

कभी ठोकर मिला कभी आहें मिली ,
कभी मंजिल की ओर जाती राहें मिली ,
मंजिलों पे कदम भी बढाए ।
कभी रोये कभी मुस्कुराए ।

काम बनते रहे और बिगड़ते रहे ,
लोग मिलते रहे और बिछड़ते रहे ,
जो गए लौट कर फ़िर न आए ।
कभी रोये कभी मुस्कुराए ।

 Copyright@PBChaturvedi

1 टिप्पणी:

  1. प्रिय बन्धु
    बहुत अच्छा लगा आपका लेखन
    आज कल तो लिखने पढने वालो की कमी हो गयी है ,ऐसे समय में ब्लॉग पर लोगों को लिखता-पढता देख बडा सुकून मिलता है लेकिन एक कष्ट है कि ब्लॉगर भी लिखने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जबकि पढने पर कम .--------
    नई कला, नूतन रचनाएँ ,नई सूझ ,नूतन साधन
    नये भाव ,नूतन उमंग से , वीर बने रहते नूतन
    शुभकामनाये
    जय हिंद

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